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Wednesday, October 3, 2018

October 03, 2018

Difference between RAM and ROM,Volatile and non-volatile Memory In Hindi

Difference Between RAM vs ROM

आज हम बात करेंगे RAM और ROM की सभी ने एक न एक बार दोनों के बारे में सुना होगा ये एक प्राइमरी मेमोरी है। इस लेख में RAM और ROM में क्या अंतर है ये कितने प्रकार की होती है कौन ज्यादा तेज़ है ये सभी चीज़े आज हम जानेगे तो चलिए शुरू करते है।

Difference between RAM and ROM,Volatile and non-volatile Memory In Hindi
Difference between RAM and ROM,Volatile and non-volatile Memory In Hindi 

What is RAM(Random Access Memory)

HDD और SSD के बाद RAM सबसे जरूरी और बड़ी मैमोरी है जो कंप्यूटर हार्डवेयर पर मौजूद है। Real time में CPU द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे प्रोग्राम और Data को स्टोर करने के लिए RAM का उपयोग किया जाता है। RAM में कई बार Data को पढ़ा, लिखा और मिटाया(Read,Write and Erased) जा सकता है। 

RAM एक Volatile मेमोरी है जिसका मतलब ये स्थिर नहीं है जैसे ही आपका सिस्टम ऑफ होता है वैसे ही आपका सारा प्रोग्राम और डेटा मिट जाता है जो भी अपने save नहीं किया। जैसे मान लीजिये आप MS Office पर काम कर रहे है और अपने उस फाइल को save नहीं किया और अचानक बिजली जाने के कारण आपका सिस्टम बंद हो जाता है तो ऐसे में आपकी वो फाइल erase हो जाएगी क्योकि वो RAM में save थी। 

RAM कंप्यूटर की सबसे तेज़ और महंगी मेमोरी है। RAM दो प्रकार की होती है Static RAM और Dynamic RAM शॉर्ट में इसको SRAM और DRAM कहते है। 
Static RAM को data बनाए रखने के लिए बिजली के निरंतर प्रवाह की जरूरत पड़ती है। SRAM जो है DRAM की तुलना में तेज़ है और अधिक महंगा है , इसको कंप्यूटर के लिए कैश मेमोरी के रूप में प्रयोग किया जाता है।  वही, दूसरी तरफ Dynamic RAM को data बनाए रखने के लिए बार बार रिफ्रेश होता है। SRAM की तुलना में DRAM सस्ती और धीमी है।   

What is ROM(Read Only Memory)

जैसा की नाम से ही समझ आ रहा है Read Only Memory(ROM) एक ऐसी मेमोरी है जिसे हम केवल Read कर सकते है। CPU सीधे ROM मेमोरी तक नहीं पहुंच सकता है, data को पहले RAM में ट्रांसफर किया जाता है, फिर CPU RAM से उस data तक पहुंच सकता है। 

ROM बूटस्ट्रैपिंग ( कंप्यूटर को boot करने की प्रकिया) के दौरान आवश्यक निर्देश(instruction) को स्टोर करता है। ROM को Modify नहीं किया जा सकता है। ROM एक non-Volatile मेमोरी है जिसका मतलब ये स्थिर है। आपका सिस्टम ऑफ हो या ऑन हो ROM के अंदर data वैसे ही रहता है जैसे कि पहले था। 

ROM की capacity RAM की तुलना में कम होती है , यह RAM की तुलना में धीमा और सस्ता है। ROM तीन प्रकार की होती है 

Types Of ROM 

PROM(Programmable ROM)- PROM के अंदर हम डाटा को सिर्फ एक बार Modify कर सकते है एक से ज्यादा बार नहीं। 

EPROM(Erasable And Programmable ROM)- EPROM  को कितनी भी बार मिटा कर data को modify किया जा सकता है। इसको Ultra Violet Light के जरिए मिटाया जाता है जिसमे लगभग 40 मिनट तक लग जाते है। 

EEPROM(Electrically Erasable And Programmable ROM)- इसमें इलेक्ट्रिकल द्वारा data को 10 हजार बार मिटाया जा सकता है जो की सिर्फ 4 से 10 मिलीसेकंड में हो जाता है। 


अब देखते है मुख्य रूप से RAM और ROM में क्या अंतर् है -

Data  

RAM के अंदर data स्थायी नहीं होता और इसे कई बार बदला जा सकता है। 
ROM के अंदर data स्थायी होता है और इसको बदला जा सकता है लेकिन सीमित संख्या में। 

Speed 

RAM की स्पीड  अधिक होती है। 
ROM की स्पीड RAM की तुलना में काफी धीमी है। 


CPU Interaction 

CPU सीधा RAM के स्टोर data को Access कर सकता है। 
लेकिन ROM के साथ CPU ऐसा नहीं कर सकता, ROM से Interaction के लिए पहले RAM में डाटा कॉपी होता है। 

Size And Capacity 

RAM का साइज और कैपेसिटी ज्यादा होती है।  
ROM का साइज और कैपेसिटी कम होती है। 

Usage 

RAM एक प्राइमरी मेमोरी है जिसका प्रयोग data को अस्थिर रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है इसके आलावा इसका प्रयोग CPU Cache(SRAM ) मेमोरी के रूप में भी किया जाता है।
ROM का प्रयोग फर्मवेयर में होता है जैसे की BIOS or UEFI, RFID  tags, Microcontroller, Medical Device और उन स्थानों पर जहा एक छोटा और स्थायी मेमोरी की आवश्यकता है। 

Cost 

RAM महंगी होती है ROM की तुलना में। 
ROM सस्ती होती है RAM की तुलना में। 


RAM Volatile मेमोरी है और ROM non-Volatile मेमोरी है। 

RAM और ROM दोनों ही अपनी जगह जरूरी है अगर CPU प्रोसेसिंग के लिए RAM महत्वपूर्ण है तो कंप्यूटर boot करने के लिए ROM जरूरी है। ROM को हम जितना कम आंकते है असल में ऐसा है नहीं SSD, USB Drive, SD card आदि इन सभी स्टोरज मीडिया पर हमे मिली Flash memory EEPROM का एक Advanced Implimentation है। जिसके जरिए हम डाटा को बार बार write/read कर सकते है।  
तो यह था RAM और ROM के बीच अंतर 


Sunday, September 30, 2018

September 30, 2018

WordPress vs HTML Which One Is Better...?? (2018)

WordPress vs HTML

क्या आप अपनी खुद की Website बनाने का सोच रहे है जो आपके बिज़नेस को आगे बढ़ाने में मदद करे। इन दिनों हमारे पास ऐसी Website बनाने के लिए बहुत सारे विकल्प है लेकिन जो दो नाम सबसे पहले हमारे दिमाग में आते है जिसके जरिए हम अपनी Website बना सकते है वो है WordPress और HTML
लेकिन कई बार लोग इन दोनों में कंफ्यूज हो जाते है की WordPress बेहतर है या HTML बेहतर है तो आज हम इस लेख में जानेगे की WordPress और HTML क्या है.. ? दोनों में क्या बेहतर है और हमे इनमे से किसका इस्तेमाल करना चाहिए।

WordPress 

WordPress एक मुफ्त CMS (Content Management System) है जो आपको इसकी संरचना के आधार पर वेबसाइट या ब्लॉग बनाने की अनुमति देता है। WordPress का Interface काफी User Friendly होता है जिसको इस्तेमाल करना काफी आसान है। इसमें काफी सारे फीचर्स होते है जो आपकी वेबसाइट या ब्लॉग को एक प्रोफेशनल लुक देते है। 

HTML 

HTML (Hyper Text Markup Language) यह एक Programming Code Language है जो आपको किसी पेज पर जानकारी प्रदर्शित(Display) करने की अनुमति देता है। आमतौर पर आपको अपने व्यवसाय के लिए एक HTML वेबसाइट बनाने के लिए  वेब डेवलपर की आवश्यकता होती है। वे आपकी वेबसाइट बनाने के लिए HTML, CSS, JavaScript, और कुछ अन्य तकनीकों का उपयोग करता है इसके अलावा अगर आपको कोडिंग में दिलचस्पी है और आप इसको सीखना चाहते है  तो आप भी इसको सीख सकते है ज्यादा मुश्किल नहीं है  और खुद से अपनी पसंद की वेबसाइट बना सकते है। 

अब बात करते है WordPress और HTML में क्या फर्क है और दोनों में से क्या बेहतर है। 

Updates 

WordPress में अपडेट करना काफी आसान होता है बस आपको WordPress वेबसाइट पर लॉग इन करना होता है।  इसका इंटरफ़ेस काफी आसान होता है जिससे की यूजर को कोई भी चीज़ अपडेट करने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है। 
वही अगर दूसरी तरफ देखे तो अगर आप HTML/CSS के बारे में नहीं जानते या अपने अभी सीखना शुरू किया है तो अपडेट करना बहुत मुश्किल हो सकता है। आपको नए पेज को जोड़ना या फिर कोई पुराना Content अपडेट या कोई फोटो और वीडियो अपलोड करना ऐसे छोटे छोटे कामो के लिए भी आपको एक वेब डेवलपर की आवश्यकता पड़ेगी। 

Theme Or Templates 

केवल WordPress फाइल को Theme कहा जाता है। WordPress पर आपको हजारो Theme मिलेगी इन सभी Theme को एक Database में Store किया जाता है और एक साथ जुड़े होते है, ताकि आप सरल तरीके काफी सारी Theme एक साथ देख सके। 
HTML तकनीक पर आधारित डिज़ाइन को टेम्पलेट कहा जाता है और इसे किसी भी HTML Editor में Edit कर सकते है। HTML टेम्पलेट्स को WordPress में इंस्टॉल नहीं किया जा सकता है क्योकि इसकी संरचना में WordPress CMS (Content Management System) नहीं है।

SEO Friendly 

कोई वेबसाइट SEO Friendly है या नहीं इसे देखने के लिए हमे उस वेबसाइट की Layout और Plug-In को देखना होता है 
WordPress की बात की जाए तो यहाँ पर Layout और Plug-In करना काफी आसान है Layout मतलब जो वेबसाइट का Structure होता है उसको कहते है की वेबसाइट कैसी दिख रही है और Plug-In जैसे Follow, Google search, Pages, Logo, Translation, Profile आदि  इनको अपनी वेबसाइट पर Add करना आसान होता है। 
वही HTML में Layout और Plug-In करना काफी मुश्किल होता है इसमें हमे सब कुछ खुद से करना पड़ता है। इसका मतलब ये नहीं है की यह SEO Friendly नहीं है बस इसमें हमे सभी कोडिंग खुद से करनी पड़ती है जिसके लिए हमे वेब डेवलपर की जरूरत पड़ती है या फिर खुद एक्सपर्ट बनना पड़ेगा। 

Time And Cost 

WordPress में Time और Cost कम लगती है। WordPress पर वेबसाइट बनाने में आपको ज़्यादा समय नहीं लगता है अगर आप किसी से वेबसाइट बनवाते हो तो वो आपको ज्यादा से ज्यादा 2 से 3  दिन में बना कर दे देगा और इसकी Cost भी कम आएगी।
वही अगर हम बात करे HTML की तो यहाँ पर Time और Cost दोनों ज्यादा लगता है। HTML में वेबसाइट बनाने में 10-15 दिन भी लग सकते है ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कैसी वेबसाइट बनवानी है उसी हिसाब से आपकी Cost भी आती है। लेकिन चाहे आप Basic वेबसाइट बनवाएं या फिर Advanced HTML में Time और Cost दोनों ज्यादा ही आती है।

Security 

WordPress खुद अपनी Security के ऊपर काम करता है। सारा कंट्रोल WordPress के हाथ में होता है। 
लेकिन HTML में ऐसा नहीं होता यहाँ पर वेबसाइट की Security के ऊपर आपको खुद काम करना पड़ता है।


WordPress vs HTML Which One Is Better...?? Website
WordPress vs HTML Which One Is Better...??


HTML or WordPress... ??? Which One Is Better 

जैसा की आपने देखा की HTML में हमे सभी चीज़े खुद से करनी पड़ती है जो की एक नार्मल इंसान के लिए मुश्किल होगा जिसने अभी कोडिंग सीखना शुरू किया होगा और दूसरी तरफ WordPress जहा पर सब कुछ काफी आसान है HTML की तुलना में। हमने आपको HTML और WordPress में अंतर बता दिया लेकिन आपके लिए कौनसी सही है चलिए उस पर भी नज़र डालते है।

अगर आपको एक Simple या Basic  वेबसाइट बनानी है तो आप WordPress का इस्तेमाल कर सकते है  लेकिन अगर आपके दिमाग में कोई Idea है जैसे मन लीजिये आपको एक बहुत बड़ी E-Commerce  वेबसाइट बनानी है तो आप Hardcore कोडिंग यानि HTML का प्रयोग कर सकते है।

अगर आप WordPress में  वेबसाइट पर काफी ज्यादा Plug -In का प्रयोग कर रहे हो और आपकी वेबसाइट थोड़ी बड़ी है, तो आपकी वेबसाइट Heavy हो सकती है जिस कारण वो थोड़ी धीमी हो सकती है।
अगर आपको काफी सारे Plug -In का प्रयोग करना है तो आप HTML में वेबसाइट बना सकते है क्योकि यहाँ पर आप अपने Plug-In के साइज को अपने हिसाब से Adjust कर सकते है।

अगर आपको कोडिंग में दिलचस्पी है और आप उसको सीख रहे है तो HTML आपके लिए बेस्ट है। HTML की कोडिंग सीखने से ये लाभ होता है की अगर आप WordPress पर भी काम कर रहे है तो वहा पर  Customize का ऑप्शन आता है। तो ये सब आप तभी ककर सकते है अगर आपको कोडिंग आती होगी।

आशा करता हूँ आपको समझ आ गया होगा की HTML और WordPress में क्या अंतर है और आपके लिए क्या बेहतर है।   

Thursday, September 27, 2018

September 27, 2018

Internet "Black World" What Is Surface Web, Deep Web And Dark Web

Internet "Black World" What Is  Surface Web, Deep Web And Dark Web

 हम सभी लोग इंटरनेट का प्रयोग करते है और आगे भी करते रहेंगे इसका प्रयोग बढ़ता ही जाएगा कम नहीं होगा लेकिन, क्या आप जानते है... ?? इंटरनेट की दुनिया कितनी विशाल है। असल में, हम केवल इंटरनेट का 4%  भाग ही इस्तेमाल करते है, हे न चौकाने वाली बात। बाकि के भाग को तीन हिस्सों में रखा गया है जिसे हम नीचे लिखे हुए नामो से बुलाते है-

  1. Surface Web 
  2. Deep Web 
  3. Dark Web

क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है की इंटरनेट कितना विशाल है, देखा जाए तो इंटरनेट पर लगभग 1 बिलियन से भी ज्यादा वेबसाइट मौजूद है और हर दिन हज़ारो नई साइट लॉन्च होती रहती है, अरबों वेबसाइट होने के बावजूद भी ये 4% हिस्सा भरा नहीं है।
 इंटरनेट जिसे हम Surface Web कहते है उसका केवल 4% हिस्सा ही इस्तेमाल करते है बाकी 96%  Deep Web और Dark Web में आता है और अगर हमे इसका इस्तेमाल करना है तो हमे Advanced Tools की आवश्यकता पड़ेगी। तो चलिए जानते है इंटरनेट की काली दुनिया के बारे में

Surface Web 

Surface Web जिसे हम Visible Web भी कहते है ये WWW( World Wide Web) का ऐसा हिस्सा है जो सभी लोगो के लिए आसानी से उपलब्ध है जिसे हम इस्तेमाल करते है जैसे गूगल, बिंग, फेसबुक,याहू ऐसी कोई भी चीज़ जिसे हम आसानी से चला सके ये सारी वेबसाइट Surface Web में ही आती है ये नार्मल इंटरनेट है जो सबके लिए उपलब्ध है 
जितनी भी चीज़े वेबसाइट या वेब पेज Index होते है गूगल  में वो Surface Web में आते है। एक बात और  Surface Web की सभी Website हम Deep और Dark Web में चला सकते है लेकिन Deep और Dark Web की Website हम Surface Web में नहीं चला सकते।  

Deep Web 

Deep Web जिसको Invisible और Hidden Web भी कहा जाता है। Deep Web के अंतर्गत वह सभी पेज या वेबसाइट आती  है जिन्हे सर्च इंजन पर सर्च नहीं कर पाते लेकिन यह चीज़े वहां होती है। इसको सभी लोग Access नहीं कर सकते जैसे की आर्मी, पुलिस , बैंक , साइंटिफिक रिसर्च, CBI इत्यादि इन सभी के वेब पेज या वेबसाइट हम Access नहीं कर सकते जब तक हमारे पास इसका ID पासवर्ड न हो।  कोई भी ऐसा  डाटा या नेटवर्क जो गुप्त या निजी हो हम उसे बिना Admin के मर्ज़ी से नहीं देख सकते।
जैसे की अगर आप किसी बैंक की details देखने की कोशिश करेंगे तो आप नहीं देख सकते जब तक की आपको ID पासवर्ड न पता हो या फिर आप उसके  Admin न हो। तो कहना का मतलब यही है की चीज़े हमारे सामने होने के बावजूद भी हमे नज़र नहीं आती क्योकि कोई भी सर्च इंजन इन Sites या Web Pages को Index ही नहीं करता है, बस कुछ Specific लोग ही इसको Access कर सकते है।
देखा जाए तो Deep Web  कानून के दायरे में रहकर ही काम करता है इसको हम Protection वेब भी कहे सकते है क्योकि वेबसाइट या वेब पेज को Protect करता है।

Dark Web 

कुछ सालो पहले तक Deep Web और Dark Web को एक ही समझा जाता था लेकिन गैरकानूनी गतिविधियो के बढ़ने से इन्हे 2 भागो में बांट दिए गया। Dark Web जो है वो  Deep Web का ही एक हिस्सा है। Deep Web के उलट Dark Web में सभी गैरकानूनी गतिविधियां होती है। 

चेतावनी - यह पोस्ट सिर्फ समझाने के मकसद से लिखा जा रहा  है Dark Web पूरी तरह से  गैरकानूनी है अगर कोई भी इसका इस्तेमाल करता है तो वो इसका जिम्मेदार खुद होगा। 
Difference Between Surface Web, Deep Web And Dark Web,Internet
Internet World What Is  Surface Web, Deep Web And Dark Web
Dark Web को हम इस तरह समझ सकते है जैसे की हम अपने मोबाइल को Root करते है उस पर अपना पूरा कंट्रोल कर लेते है ठीक उसी तरह Dark Web में लोग  इंटरनेट की ओर गहराई  में चले जाते  है और इसके जरिये  Illegal काम करते है। इसलिए इसको इंटरनेट की "काली दुनिया" भी कहते है। Dark Web को हम सामान्य सर्च इंजन पर Access नहीं कर सकते है इसके लिए हमे एक स्पेशल ब्राउज़र की आवश्यकता होगी जिसे हम TOR(The Onion Router)  या फिर Tor Browser भी कहते है इसकी मदद से आप अपना IP Address छुपा सकते है। आपको लग रहा होगा ये सब VPN से भी कर सकते है लेकिन ये VPN से अलग है। 
TOR आपको Orot नाम से गूगल प्ले स्टोर में मिल जाएगा लेकिन सिर्फ इससे बात नहीं बनने वाली आपको एक Proxy Server की भी जरूरत होगी जिसका नाम Orfox है ये भी आपको गूगल प्ले स्टोर में आसानी से मिल जाएगा मोबाइल को Root करना या Dark Web को देखना Illegal नहीं है लेकिन आप उसका कैसे इस्तेमाल करते है सब उस पर निर्भर करता है। 
Dark Web को इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है पकडे जाने पर सीधा जेल हो सकती है। अब हम देखते है कौन सी गैरकानूनी गतिविधियाँ होती है - आतंकवादी गतिविधियाँ, ड्रग्स, हथियार आदि का व्यापार, पोर्नोग्राफी, फ्रॉड सर्विस इत्यादि  ऐसी हजारों चीज़े है जो Illegal है लेकिन Dark Web में वो फिर भी की जाती है। 

अब आपको शायद इन तीनो में फर्क समझ आ गया होगा।  
   

Monday, September 24, 2018

September 24, 2018

Difference Between Update And Upgrade

Difference Between Update And Upgrade

Update और Upgrade ये दोनों ही शब्द आपने काफी बार सुने होंगे आमतौर पर सॉफ्टवेयर, ऐप्प या ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव करने के लिए Update और Upgrade काम मे आते है।  तो आज हम इसी बारे में चर्चा करेंगे की इन दोनों में क्या फर्क है। 
इस डिजिटल की दुनिया में ऐसी बहुत सी चीज़े है जो हमे भ्रमित करती है हम कंफ्यूज हो जाते है जैसे की Update और Upgrade के बीच अंतर करना। कई बार हमे अपने कंप्यूटर को Update करने की आवश्यकता होती है और कई बार Upgrade करने की आवश्यकता होती है। Update और Upgrade दोनों ही अपना काम अलग अलग तरीके से करते है तो आइए जानते है दोनों के बीच में मुख्य अंतर। 


Update 

आमतौर पर देखा जाये तो Update हमे Upgrade की तुलना में अधिक मिलता है इसका मतलब Update ज्यादा किया जाता है और Upgrade कम। Update में सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम में परिवर्तन करना शामिल है हालांकि Update के जरिये आप अपने सिस्टम की मूल संरचना को नहीं बदल सकते जैसे आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन में ज्यादातर बदलाव नए ड्राइव्स, बग फिक्स या फिर कोई अतिरिक्त ऐप्प आपके स्मार्टफोन में आ जाता है आपने नोटिस किआ होगा Update के बाद कई बार कोई न्यू एप्लीकेशन आपके फ़ोन में आ जाती है हालांकि ये सब फ़ोन में नहीं होता है। 
Update आकार में अधिक छोटे होते है Update करने में ज्यादा समय नहीं लगता है। Update का साइज अलग अलग हो सकता है देखा जाए तो Update MB में ही होता है, Update को आपके डिवाइस पर Install करने के लिए कम समय चाहिए, जबकि Upgrade में घंटो लग सकते है। 



Difference Between Update And Upgrade Software
Difference Between Update And Upgrade Software

Upgrade

Upgrade में भी Update की ही तरह सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव या कहे सकते है सुधार लाता है लेकिन Upgrade के जरिये  किसी भी सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम की मूल संरचना बदल जाती है। 
उदहारण के लिए यदि आप विंडोज से  विंडोज 10 में स्विच करते है , तो इसे Upgrade कहा जायेगा, इसी प्रकार अगर आप उबंटू(Ubuntu) 16.04  से 17.04 में स्विच करते है तो ये भी Upgrade में आता है। ऐप्प के साथ भी यही होता है जैसे आपने Adobe photoshop CS5  को Upgrade किया तो वो Adobe photoshop CS6  में Upgrade हो जाएगा। 
Upgrade में आपको वो चीज़े मिलती है जो आपको पुराने version में नहीं मिलती एक तरह से ये एक नया Upgraded  सॉफ्टवेयर या ऐप्प बन जाता है। इसकी मूल संरचना बदल जाती है जबकि Update में ऐसा नहीं होता है, इसके आलावा Upgrade का आकार आमतौर पर बड़ा होता है जिसको Install होने में ज्यादा समय लग सकता है। 

अच्छे से समझने के लिए पूरे आर्टिकल को हम 3 पॉइंट्स में बांट देते  है-

  1. Update अक्सर मुफ्त होता है क्योकि आमतौर पर इनकी कीमत आपसे सॉफ्टवेयर, मोबाइल या कंप्यूटर  खरीदते समय ही वसूल ली जाती है लेकिन Upgrade के दौरान आपसे पैसे लिए जा सकते है। 
  2. Update की तुलना में Upgrade Size में बड़े ओर जटिल होते है जबकि इसको Install करने में काफी समय लगता है जबकि Update करने में इतना समय नहीं लगता। 
  3. Update में अक्सर Bug Fix , Security Patch , New Features इत्यादि शामिल है और Upgrade के समय सॉफ्टवेयर में महत्वपूर्ण और पर्याप्त परिवर्तन होते है। Upgrade Version संख्या में महत्वपूर्ण बदलाव करता है , जैसे एंड्राइड 6.0 से  एंड्राइड 7.0 या विंडोज 7 से विंडोज 10 

अब शायद आपको समझ आ गया होगा की Update और Upgrade में क्या फर्क होता है। 




Tuesday, September 11, 2018

September 11, 2018

Differnce Between Worm, Trojan and Virus In Hindi


Differnce Between Worm, Trojan and Virus In Hindi


इन तीनो के बीच अंतर जानने से पहले हमे Malware के बारे में जानना होगा  Malicious Software (दोषपूण सॉफ्टवेयर) को Malware के रूप मे जाना जाता है इस सॉफ्टवेयर का मकसद है आपके computer मे जाकर सब कुछ तहस नहस कर देना  कुछ लोग किसी भी प्रकार के Malware Attack को "Computer Virus" का नाम दे देते है जो की सही नहीं है, जिसको आप Virus समझ रहे है वह Worm या Trojan भी हो सकता है क्योकि  ये तीनो ही Malware के प्रकार(Types) है ! ये तीनो ही एक दूसरे से अलग है,ये अलग तरह से फैलते है तो चलिए समझते है तीनो के बारे मे 


VIRUS 

जिस तरह जैविक वायरस(Biological Virus)  हमारी जीवित कोशिकाओं(Cells) को संक्रमित करता है तेज़ी से फैलता है और नुकसान पहुचंता है ठीक उसी तरह कंप्यूटर वायरस हमारे Computer मे बहुत तेज़ी से फैलता है, ज्यादातर मामलों में यह आपके सिस्टम पर मौजूदा .exe फ़ाइलों में जुड़ता है, इसलिए जब भी आप उस फाइल को Run करेंगे तो वायरस अपना काम शुरू कर देगा कुछ प्रकार के वायरस अन्य प्रकार की फाइलों को भी संक्रमित कर सकते हैं, जैसे वर्ड(Word) या एक्सेल(Excel) दस्तावेज़ों में, इन सब के अलावा Email Attachment,Network File Share और किसी ओर का Pendrive लगाना जिसके Computer मे पहले से Virus हो उससे भी वायरस फैलता है
कुछ मामलों में, वे मौजूदा प्रोग्राम फ़ाइलों को अपने आप से जोड़ लेते है जिस कारण से वायरस ओर ज़्यादा शक्तिशाली हो जाता है ओर तेज़ी से फैलने लगता है जिसके कारण आपकी File, Harddisk यहाँ तक की पूरा System भी Corrupt हो सकता है !


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Computer Virus


Types of Virus:-

Boot Sector Virus:- इस तरह का वायरस आपके Harddisk के Boot sector मे होता है जिस कारण ये आपके system को on करने मे प्रॉब्लम देता है इस वायरस को निकाल पाना मुश्किल होता है आपको Harddisk format करनी पड़ती है

Macro Virus:- यह वायरस मुख्य रूप से किसी विशेष तरह की फाइल मे होता है जैसे की Microsoft के Word Document फाइल मे

Overwrite Virus:- जैसे की इसके नाम से ही समझ आ रहा है ये आपकी फाइल पर अपने वायरस को Overwrite कर देता हे जिस कारण अगर आपको वायरस Delete करना है तो आपको अपनी वो फाइल ही Delete करनी पड़ती है जिससे उस Infected फाइल का डाटा भी loss हो जाता है


File Infection Virus:- ये आपकी files के साथ attach हो जाता है जैसे की .com or .exe files इसके अलावा अगर आपको ये डॉट(.sys .ovl .prg and .mnu) वाली फाइल दिखे तो समझ जाना की वायरस है


WORM


Worm एक फोटोकॉपी(Photocopy) मशीन के जैसा होता है जो अपनी खुद की Copies तैयार करता है और फैलता चला जाता है इसको कंप्यूटर में फैलने के लिए फाइल की आवश्यकता नहीं होती ये Network के जरिये ही अपने आप को फैला लेता है जैसे की virus को एक फाइल चाहिए होती है खुद को फैलाने के लिए परंतु worm की इसकी आवश्यकता नहीं होती ! कुछ Worm जैसे की Mydoom Worm कंप्यूटर की एड्रेस बुक(Address Book) में हर पते(Address) पर स्वयं की Copies ईमेल(E-Mail) कर देते है ।
Blaster और Sasser Worms सबसे खतरनाक और तेज़ फैलने वाले Worm है यह नेटवर्क सेवाओं में कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। फ़ाइलों को ईमेल करने के बजाय, वे नेटवर्क पर यात्रा करते हैं और अनचाहे सिस्टम को संक्रमित(Infected) करते हैं यह अपने folder या file के नाम ऐसे रखते है की आपको पता ही नहीं चलेगा की ये worm है

Types of Worms :-

E-mail Worms :- यह Worm E-Mail के जरिये एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फैलता है

File Sharing Worms :- यह Worm आपके कंप्यूटर में folder या file के नाम से save हो जाते है ओर ये नाम ऐसे होते है जिससे आपको शक भी ना हो

Internet Worms:- यह Worm नेटवर्क के जरिये फैलता है ये ऐसे ही कंप्यूटर की तलाश में रहते है जिनकी Network Securtiy कमजोर हो

Internet Relay Chat(IRC):- यह Worm Infected फाइल ओर वेबसाइट के link को आपके inbox या chat तक भेजता है ! मान लीजिये अपने किसी link को ओपन कर लिया जिसके बारे म आपको पता नहीं तो उसके माध्यम से ये आपके कंप्यूटर में आ सकता है


Trojan


ट्रोजन को हम एक छल कहें सकते है यह होता कुछ ओर है ओर आपको दिखायेगा कुछ ओर ये अपना रूप बदल कर आता है जैसे:- आप इंटरनेट इस्तेमाल करते है बीच बीच मे काफी बार आपको Advertisment दिखती होगी जैसे की यहाँ क्लिक करो ओर Iphone जीतो यहाँ स्पिन करो या फिर Memory Cleaner के रूप मे आपको दिखता है असल मे वो कोई software या App नहीं होता जिस पर आप Click या download करते हो वो Trojan होता है
  • एक Trojan आपके System की File or Data को डिलीट कर सकता है
  • आपका System लॉक कर सकता है
  • कंप्यूटर बार बार Restart हो सकता है



इन तीनो के अलावा भी कुछ अन्य खतरे (Threats) है

Spyware:- spyware के बारे मे जानने से पहले हमे Key logger Technology के बारे मे जानना होगा key logger एक सॉफ्टवेयर है जो आपके कंप्यूटर की सभी Details जैसे क्रेडिट/डेबिट कार्ड का पासवर्ड आपके ऑनलाइन बैंकिंग का पासवर्ड आप इंटरनेट पर क्या सर्च आपके Mail, ID , Documents इत्यादि को ये रिकॉर्ड करता रहता है ओर आपके बैंक से पैसे निकाल लेता है
कुछ Anti virus इस सॉफ्टवेयर का पता नहीं लगा पाते लेकिन आपके Window 7 मे जो विंडोज डिफेंडर(Windows Defender) है वो इसका पता लगा लेता है

Scareware:- इसको Crimeware के रूप मे भी जाना जाता है अक्सर आपने देखा होगा की वेब पेज पर आपको Antivirus Alert दिखाते है की आपके सिस्टम मे इतना वायरस है जो की इस सॉफ्टवेयर की मदद से हट जायेगा तो जब आप इस फर्जी एंटीवायरस प्रोग्राम डाउनलोड करते हैं, तो यह आपको सूचित करेगा कि आपके सिस्टम पर वायरस हैं। एंटीवायरस प्रोग्राम क्रेडिट कार्ड नंबर मांगता है, जो आपके सिस्टम को "फिक्सिंग" से पहले भुगतान पर जोर देता है। जब तक आप नंबर नहीं डाल देते या इसको Delete नही कर देते ये नहीं जाता है

उम्मीद करता हूँ आपको ये लेख पसंद आया होगा और कुछ सीखने को मिला होगा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट जरूर करे